मैंने ये ठान लिया है कि आपको शेयर मार्किट से अधिक - से अधिक लाभ दिलाना है इसलिए मै आपको लॉन्ग टर्म के लिए ही कहूँगी और उसमे सबसे पहला स्टेप यही होता है कि कम्पनी का फंडामेंटल चेक करना ज्यादा जल्दी बाज़ी में लिया गया फैसला घातक हो सकता है
इन्वेस्ट करने से पूर्व थोड़ा रुकें और कम्पनी की हेल्थ के बारे में जाने कि वो कैसी है क्या वो लम्बी रेस का घोड़ा साबित हो सकती है फंडामेंटलमें जो आपको देखना है वो मै आपको बताती हूँ
1. प्राइस टू बुक रेश्यो ( P / B )
2. अर्निंग पर शेयर ( ईपीएस ) - पिछले ५ साल से बढ़ रही हो
3. डिविडेंड : लगातार देती हो और पिछले ५ साल से हर बार बढ़ारही हो
4. P / E रेश्यो : कम्पनी के सेम सेक्टर की अन्य कम्पनियों से कम हो
5. ROE ( रिटर्न ऑन इक्विटी ) : २० % से ज्यादा हो
6. करंट रेश्यो : १ से ज्यादा होना चाहिए
7. डेब्ट तो इक्विटी रेश्यो : १ से काम होना चाहिए
अगर कंपनी इन सब चीजों में से अधिकतर को पूरा करती है तो आपको कम्पनी की फाइनेंसियल रिपोर्ट को देखना चाहिए जैसे बैलेंस शीट , प्रॉफिट & लॉस स्टेटमेंट , कॅश फ्लो आदि इन रिपोर्ट्स के आधार पर कम्पनी के भूतकाल का पता चलता है
2. क्या लोग उस कम्पनी के प्रोडक्ट को पसंद या उपयोग में लाते हैं
आपने कुछ कम्पनी का चुनाव करके उनकी एक लिस्ट बनाली अब जब आपने जान लिया कि इन कम्पनियों की हेल्थ काफी अच्छी है और ये लम्बे समय के इन्वेस्टमेंट के लिए बढ़िया है तो दूसरा स्टेप आता है कि कम्पनी के प्रोडक्ट या सर्विस कैसी है इसको आप एक उपभोक्ता बन कर सोचना चाहिए कि क्या आप उस कम्पनी का प्रोडक्ट लेना पसंद करेंगे
अगर आपको कम्पनी के प्रोडक्ट पसंद हैं तो और भी लोगों को पसंद हो सकते हैं मतलब कि कंपनी अच्छे प्रोडक्ट भी बनाती है तो वह भविष्य में काफी तरक्की भी कर सकती है इसीलिए मै कहती हूँ की ऐसी कम्पनी में निवेश करिये जिसे आप अच्छी तरह से जानते हैं
3. कम्पनी के प्रोडक्ट का भविष्य क्या और कैसा हैं
चलिए प्रोडक्ट तो अच्छे हैं किन्तु समय के साथ लोगों का नजरिया भी बदल जाता है तो क्या कम्पनी के मौजूदा प्रोडक्ट आने वाले समय में भी लोगों की पसंद बनी रहेगी या फिर चेंज होने की संभावना है या क्या कंपनी अपने आप को वक़्त के अनुसार ढालने में सक्षम है या वो अपने प्रोडक्ट में भी बदलाव करने में सक्षम है
इसको मै आपको एक उदाहरण के द्वारा समझाने की कोशिश करती हूँ Nokia कम्पनी जो कि keypad वाला मोबाइल बनाती थी और उस समय सिर्फ तीन कम्पनियों के मोबाइल को लोग जानते थे LG , Nokia & Samsung जब मोबाइल के क्रेज़ की शुरुआत हुई थी ( Thanks to Ambani Ji )
किन्तु धीरे - धीरे उनकी जगह एंड्रॉएड फ़ोन ने ले ली इसके बाद इन तीनो ने भी एंड्रॉएड फ़ोन लांच किया लेकिन आप जानते ही हैं कि आज सिर्फ Samsung ही सफल रहा है हिन्दुस्तान में, तो आपको भी ऐसे ही देखने की आवश्यकता है कि क्या कम्पनी बदलाव लाने में सक्षम है या नहीं
4. क्या कम्पनी के ऊपर कोई लोन है
लोन लेना वैसे तो मै गलत नहीं मानती क्योंकि ये एक व्यापर का हिस्सा ही होता है और व्यापर को बढ़ाने में मदद करता है किन्तु किसी भी चीज की अति नुक्सानदायक होती है बिग डेब्ट कम्पनी के ऊपर छाने वाला एक ऐसा खतरा होता है जो कम्पनी को धीरे - धीरे खा रहा होता है
इसलिए किसी भी कम्पनी में इन्वेस्टमेंट के चुनाव से पहले उस कम्पनी का फिनांशियल रिपोर्ट देखना अत्यंत आवश्यक होती है जो कि आज कल आपको नेट पर और NSE की साइट पर मिल जायेगा
5. क्या कंपनी का मैनेजमेंट और स्टाफ अच्छा पढ़ा - लिखा है
यह भी एक बहुत अहम् सवाल है स्टॉक का चुनाव करने से पूर्व क्योंकि कहते हैं कि मैनेजमेंट कम्पनी की रीढ़ की हड्डी होती हैं अगर एक अच्छा नेतृत्व कम्पनी को शिखर तक ले जा सकता है तो ख़राब नेतृत्व रसातल में
तो आपको बड़ी सावधानी से इसके बारे में रिसर्च करनी चाहिए कि कम्पनी को कौन चला रहा है और कम्पनी के MD , CEO CFO आदि कौन हैं कैसे हैं उनका अनुभव कैसा है कुछ और भी बातें हैं जो आपको कम्पनी के मैनेजमेंट और प्रोमोटर के बारे में जानना चाहिए
१. प्रोमोटर की शेयर होल्डिंग और बाई बैक :- अपनी कम्पनी के बारे में अगर प्रोमोटर को नहीं पता तो किसको पता होगा ऐसे में आपको देखने की आवश्यकता है कि क्या प्रोमोटर धीरे - धीरे अपनी होल्डिंग बढ़ा रहे हैं या फिर कम कर रहे हैं और अगर कम्पनी बाई बैक लाती है तो क्या इसमें प्रोमोटर भी भाग लेते हैं या नहीं
क्योंकि उन्हें ज्यादा पता होता है कि कंपनी का आगे का क्या प्लान है और आगे कम्पनी क्या - प्रोडक्ट लाने वाली है तो ऐसे में वो पहले ही अपनी होल्डिंग बढ़ाना शुरू करदेते हैं लेकिन कभी - कभी प्रोमोटर अपनी होल्डिंग को कम करते हैं किसी और वजह से जैसे कम्पनी को अपना नया प्रोडक्ट डालना हो तो उन्हें पैसे की जरूरत है तो भी वे अपनी होल्डिंग को कम करने लगते हैं तो आपको ये भी देखना जरूरी है कि होल्डिंग कम करने की वजह क्या है
२. फाइनेंसियल रेश्यो :-ROE और ROCE भी एक बढ़िया तरीका है कम्पनी की मैनेजमेंट को जज करने का अगर कम्पनी का ROE और ROCE २०% से ज्यादा है पिछले ५ साल से लगातार तो ऐसी कम्पनी का ही चुनाव करना चाहिए इन्वेस्टमेंट के लिए
३. कम्पनी का अपने कर्मचारियों के प्रति रवईया :- कम्पनी के लिए जितना अहम् CEO, MD, CFO आदि होते हैं उतने ही अहम् कम्पनी का स्टाफ या कर्मचारी भी होते हैं अगर कम्पनी अपने कर्मचारी को कम्पनी के होने वाले लाभ में से कुछ एक्स्ट्रा करती है जैसे बोनस , स्पेशल एक्टिविटी , एंटरटेनमेंट आदि तो स्टाफ भी खुशी - ख़ुशी कम्पनी के लिए जी जान से लगा रहता है जो कि कम्पनी को और ऊंचाइयां प्रदान करने में काफी सहायक होती है
४. पारदर्शिता :- सबसे आखिरी और सबसे अहम् है ये कि कम्पनी अपने काम के प्रति कितनी सीरियस है और वो काम में पारदर्शिता बनाये हुए है कि नहीं क्या कम्पनी आपको अच्छी - अच्छी चीजें दिखा रही है और बुरी तो नहीं छुपा रही है जैसे कम्पनी अपनी ग्रोथ या क्वार्टरली रिपोर्ट में कोई गोल माल तो नहीं करती है
6. कम्पनी का फ्यूचर प्लान क्या है या पिछले कुछ साल कैसे बीते
क्या कम्पनी अपनी प्रोग्रेस से खुश है क्या उसने अपनी कम्पनी की ग्रोथ का या उसे बढ़ने का कोई प्लान बनाया हुआ है क्योंकि एक कहावत कही जाती है कि अपने काम से या अपनी आय से कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए अगर आप हो गए तो आगे तरक्की नहीं कर पाएंगे तो आपको ये भी जानने की आवश्यकता है कि उसने पिछले कुछ सालों में कैसी ग्रोथ की है और आगे का उसका भविष्य का प्लान कैसा है
7. कम्पनी का किस दूसरी कम्पनी के साथ प्रतिस्पर्धा है
एक फिल्म का डायलॉग याद आ गया - " अगर दुश्मन तगड़ा हो तो लड़ाई का मज़ा ही कुछ और है " किन्तु अगर वो ज्यादा ही तगड़ा है तो तब क्या वो तो आपको उठके पटक देगा और सारा मज़ा ही निकल जायेगा क्यों कि जनाब ये फिल्म नहीं है ये रियल लाइफ है
अब यहां ध्यान देने वाली दो बातें है एक ये कि कम्पटीटर है कि नहीं और दूसरा कि वो तगड़ा है की नहीं अब अगर कम्पटीटर नहीं है तो कंपनी का परफॉरमेंस कैसा है क्योंकि वो अगर रेस में अकेले दौड़ेगी तो फर्स्ट ही आएगी लेकिन इसका भी एक निगेटिव इम्पैक्ट होता है वो ये कि कम्पनी को जब अकेले दौड़कर अकेले जीतने की आदत पड़ जाती है तो वो ओवर कॉंनफिडेंट हो जाती है और ऐसे में नयी कंपनी आसानी से उसको पछाड़ देती है
अब आता है दूसरा पहलु कि अगर उसका कोई कम्पटीटर है और वो तगड़ा है तो कंपनी ने उसके लिए क्या तैयारी की है अगर आप मैच देखते होंगे तो आपको पता चल जायेगा कि कैसे विदेशी टीम सचिन तेंदुलकर को आउट करने के लिए रणनीति बनती थी तो कंपनी के पास क्या रणनीति है अपने कम्पटीटर के लिए और वो कैसे मुकाबला करती है
जैसे मै कुछ बढ़िया कम्पटीटर का एक उदाहरण देती हूँ टाटा मोटर्स / मारुती , इनफ़ोसिस / टी सी एस / एच सी एल टेक, HDFC बैंक / आईसीआईसीआई बैंक / एक्सिस बैंक ये कुछ उदाहरण हैं सेम सेक्टर के
अंत में कुछ और ध्यान रखने योग्य बातें :-
१. हमेशा मिडकैप कम्पनी में इन्वेस्ट करने का प्लान बनायें क्योंकि ये लार्ज कैप से ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं इन कंपनियों के पास लार्ज कैप में बदलने की काबिलियत होती है और जैसा मैंने ऊपर बताया भी था कि कम्पटीटर जब मजबूत होता है तो अच्छी होती है
२. एक कहावत को हेमशा याद रखें कि " सस्ता हमेशा अच्छा नहीं होता और महंगा हमेशा बुरा सौदा नहीं होता है "
३. पुराना कम्पनी का रिजल्ट से कुछ आशय लगाया जा सकता है किन्तु ये उसकी भविष्य की गारंटी नहीं होती है
शायद जो मैंने आपको ये की फेक्टर जो बताये हैं स्टॉक के चुनाव को लेकर तो ये आपको नेट पर जल्दी नहीं मिलेंगे तो आप इसको आजमाएं आपको सफलता अवश्य मिलेगी आपको ये आर्टिकल कैसा लगा कमेंट में अवश्य बताएं और कोई सवाल हो तो अवश्य पूछें - Happy Investing ☺
धन्यवाद